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27-03-2025 : राधारमण आयुर्वेद महाविद्यालय में फार्माकोविजिलेंस अवेयरनेस कार्यक्रम आयोजित भोपाल, 26 मार्च 2025: राधारमण आयुर्वेद महाविद्यालय में फार्माकोविजिलेंस (औषधि सतर्कता) जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शासकीय अष्टांग आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, इंदौर के फार्माकोविजिलेंस विभाग के जे.आर.एफ. डॉ. तेजस पोरवाल ने मुख्य वक्ता के रूप में व्याख्यान दिया। डॉ. पोरवाल ने अपने संबोधन में कहा कि सभी पैथियों की औषधियों से ज्ञात या अज्ञात साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। डॉक्टरों की यह नैतिक एवं पेशेवर जिम्मेदारी है कि वे सभी ज्ञात साइड इफेक्ट्स की रिपोर्ट शासन अथवा संबंधित संस्था को करें, जिससे रोगियों को सुरक्षित एवं प्रभावी चिकित्सा प्राप्त हो सके। उन्होंने बताया कि फार्माकोविजिलेंस की अवधारणा पश्चिमी देशों, विशेष रूप से अमेरिका और ब्रिटेन में बहुत पहले विकसित हो चुकी थी। उन्होंने एक ऐतिहासिक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि एक फार्मा उत्पाद के गंभीर साइड इफेक्ट्स के कारण 107 लोगों की मृत्यु हो गई थी। इस घटना के बाद अमेरिका में 1938 में फ़ूड एंड ड्रग कंट्रोल एक्ट लागू किया गया, जिससे औषधियों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा। उन्होंने औषधि सतर्कता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसे चिकित्सा क्षेत्र के लिए आवश्यक बताया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गोविंद मोयल द्वारा किया गया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. दर्पण गाँगिल ने दिया। इस अवसर पर राधारमण आयुर्वेद महाविद्यालय के डॉ. पारसनाथ पारस, डॉ. हर्षर्दा हटले, डॉ. रश्मी खरे, डॉ. नीतू डोंगरे सहित समस्त शिक्षकगण एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। राधारमण समूह के चेयरमैन आर. आर. सक्सेना ने कहा: फार्माकोविजिलेंस चिकित्सा व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो चिकित्सा क्षेत्र को अधिक सुरक्षित एवं प्रभावी बनाता है। ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से हमारे विद्यार्थी और शिक्षक न केवल जागरूक होते हैं बल्कि चिकित्सा क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारी को और बेहतर तरीके से निभा सकते हैं।





राधारमण आयुर्वेद महाविद्यालय में फार्माकोविजिलेंस अवेयरनेस कार्यक्रम आयोजित
भोपाल, 26 मार्च 2025: राधारमण आयुर्वेद महाविद्यालय में फार्माकोविजिलेंस (औषधि सतर्कता) जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शासकीय अष्टांग आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, इंदौर के फार्माकोविजिलेंस विभाग के जे.आर.एफ. डॉ. तेजस पोरवाल ने मुख्य वक्ता के रूप में व्याख्यान दिया।
डॉ. पोरवाल ने अपने संबोधन में कहा कि सभी पैथियों की औषधियों से ज्ञात या अज्ञात साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। डॉक्टरों की यह नैतिक एवं पेशेवर जिम्मेदारी है कि वे सभी ज्ञात साइड इफेक्ट्स की रिपोर्ट शासन अथवा संबंधित संस्था को करें, जिससे रोगियों को सुरक्षित एवं प्रभावी चिकित्सा प्राप्त हो सके। उन्होंने बताया कि फार्माकोविजिलेंस की अवधारणा पश्चिमी देशों, विशेष रूप से अमेरिका और ब्रिटेन में बहुत पहले विकसित हो चुकी थी। उन्होंने एक ऐतिहासिक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि एक फार्मा उत्पाद के गंभीर साइड इफेक्ट्स के कारण 107 लोगों की मृत्यु हो गई थी। इस घटना के बाद अमेरिका में 1938 में फ़ूड एंड ड्रग कंट्रोल एक्ट लागू किया गया, जिससे औषधियों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा। उन्होंने औषधि सतर्कता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसे चिकित्सा क्षेत्र के लिए आवश्यक बताया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. गोविंद मोयल द्वारा किया गया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. दर्पण गाँगिल ने दिया। इस अवसर पर राधारमण आयुर्वेद महाविद्यालय के डॉ. पारसनाथ पारस, डॉ. हर्षर्दा हटले, डॉ. रश्मी खरे, डॉ. नीतू डोंगरे सहित समस्त शिक्षकगण एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
राधारमण समूह के चेयरमैन आर. आर. सक्सेना ने कहा: फार्माकोविजिलेंस  चिकित्सा व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो चिकित्सा क्षेत्र को अधिक सुरक्षित एवं प्रभावी बनाता है। ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से हमारे विद्यार्थी और शिक्षक न केवल जागरूक होते हैं बल्कि चिकित्सा क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारी को और बेहतर तरीके से निभा सकते हैं।

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