RGI : PRESS COVERAGE

 

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Subject Name : भोपाल: राधारमण आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एवं रिसर्च हॉस्पिटल के तीन चिकित्सकों की टीम ने एक वर्ष से अधिक समय से कंधे की समस्या - फ्रोजेन शोल्डर - से पीड़ित रोगी को ठीक करने में सफलता हासिल की है. ग्राम सरवर निवासी रोगी दिनेश (परिवर्तित नाम) विभिन्न पैथी की चिकित्सा लेने के बावजूद दर्द से पीड़ित था और अपना बायाँ हाथ ऊपर नहीं उठा पा रहा था. दर्द के चलते वह इस हाथ से वजन उठाने में भी अक्षम था. शल्य चिकित्सक डॉ. अंकित नेमा, पंचकर्म विशेषज्ञ डॉ. गोविन्द मोयल एवं चिकित्सक डॉ. सुषमा अहिरवार ने इस रोगी की पहचान ग्राम सरवर में लगे एक चिकित्सा शिविर के दौरान की थी.डॉ. अंकित नेमा ने बताया कि दिनेश को कंधे के जोड़ के टिश्यू से जुडी समस्या – फ्रोजेन शोल्डर – थी. इस बीमारी में कंधे के जोड़ में अकड़न आ जाती है और कंधे हिलाने डुलाने में असहनीय दर्द होता है. कंधे के जोड़ की हड्डियाँ, स्नायुबंधन और टेंडन संयोजी ऊतक के एक कैप्सूल में ढके होते हैं। इसकी कल्पना एक गेंद के रूप में की जा सकती है, जिसके भीतर कंधे का जोड़ होता है। फ्रोजन शोल्डर तब होता है जब यह कैप्सूल कंधे के जोड़ के चारों ओर गाढ़ा हो जाता है और कस जाता है, जिससे इसकी गति बाधित हो जाती है। वात दोष की वजह से होने वाली यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन इसका प्रभाव युवाओं में अधिक देखा जाता है. डॉ. गोविन्द मोयल ने बताया कि इस तरह के रोगी को ठीक करने के लिए अग्निकर्म और पंचकर्म की सहायता ली जाती है. अग्निकर्म के अंतर्गत मरीज के पीड़ित हिस्से को अग्नि शलाका से छुआकर इलाज किया जाता है. बाद में उसे पंचकर्म के अंतर्गत आने वाली पत्र पिंड स्वेदन चिकित्सा आदि दी जाती है. उन्होंने बताया कि मरीज अभी अस्पताल में रहकर स्वास्थ्य लाभ ले रहा है जिसे जल्द ही छुट्टी दे दी जायेगी.डॉ. सुषमा अहिरवार ने बताया कि फ्रोजेन शोल्डर के अतिरिक्त आयुर्वेद में लकवा व हाथ पैर के लम्बे समय से चले आ रहे दर्द तथा पैरों में होने वाली चाई की भी प्रभावी चिकित्सा मौजूद है

भोपाल: राधारमण आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एवं रिसर्च हॉस्पिटल के तीन चिकित्सकों की टीम ने एक वर्ष से अधिक समय से कंधे की समस्या - फ्रोजेन शोल्डर - से पीड़ित रोगी को ठीक करने में सफलता हासिल की है. ग्राम सरवर निवासी रोगी दिनेश (परिवर्तित नाम) विभिन्न पैथी की चिकित्सा लेने के बावजूद दर्द से पीड़ित था और अपना बायाँ हाथ ऊपर नहीं उठा पा रहा था. दर्द के चलते वह इस हाथ से वजन उठाने में भी अक्षम था. शल्य चिकित्सक डॉ. अंकित नेमा, पंचकर्म विशेषज्ञ डॉ. गोविन्द मोयल एवं चिकित्सक डॉ. सुषमा अहिरवार ने इस रोगी की पहचान ग्राम सरवर में लगे एक चिकित्सा शिविर के दौरान की थी.डॉ. अंकित नेमा ने बताया कि दिनेश को कंधे के जोड़ के टिश्यू से जुडी समस्या – फ्रोजेन शोल्डर – थी. इस बीमारी में कंधे के जोड़ में अकड़न आ जाती है और कंधे हिलाने डुलाने में असहनीय दर्द होता है. कंधे के जोड़ की हड्डियाँ, स्नायुबंधन और टेंडन संयोजी ऊतक के एक कैप्सूल में ढके होते हैं। इसकी कल्पना एक गेंद के रूप में की जा सकती है, जिसके भीतर कंधे का जोड़ होता है। फ्रोजन शोल्डर तब होता है जब यह कैप्सूल कंधे के जोड़ के चारों ओर गाढ़ा हो जाता है और कस जाता है, जिससे इसकी गति बाधित हो जाती है। वात दोष की वजह से होने वाली यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन इसका प्रभाव युवाओं में अधिक देखा जाता है.  डॉ. गोविन्द मोयल ने बताया कि इस तरह के रोगी को ठीक करने के लिए अग्निकर्म और पंचकर्म की सहायता ली जाती है. अग्निकर्म के अंतर्गत मरीज के पीड़ित हिस्से को अग्नि शलाका से छुआकर इलाज किया जाता है. बाद में उसे पंचकर्म के अंतर्गत आने वाली पत्र पिंड स्वेदन चिकित्सा आदि दी जाती है. उन्होंने बताया कि मरीज अभी अस्पताल में रहकर स्वास्थ्य लाभ ले रहा है जिसे जल्द ही छुट्टी दे दी जायेगी.डॉ. सुषमा अहिरवार ने बताया कि फ्रोजेन शोल्डर के अतिरिक्त आयुर्वेद में लकवा व हाथ पैर के लम्बे समय से चले आ रहे दर्द तथा पैरों में होने वाली चाई की भी प्रभावी चिकित्सा मौजूद है

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Mr.Prakash Patil
Media Relation officer
Radharaman Group of institutes Bhopal
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